जनकपुर सहित मध्य आ पूर्वी मधेशक जिला खास क मिथिला क्षेत्र मे आइ चैरचन चन्द्र पर्व मनाओल जा रहल
बिनिता कामत- जनकपुर सहित मध्य आ पूर्वी मधेशक जिला खास क मिथिला क्षेत्र मे आइ चैरचन चन्द्र पर्व मनाओल जा रहल अछि । भदौ शुक्ल चौथी के दिन चन्द्रमा के पूजा आ पूजा क चौठी चंद्र पर्व मनाबय के प्रथा अछि | चौठीचन्द्र के तैयारी दू दिन पहिने शुरू भ जाइत अछि। गहूमक पूरी, खीर आ खजूरक संग पकवान आँगन साफ केलाक बाद प्रसादक रूप मे तैयार कयल जाइत अछि | पूरा परिवार सन्झामे हाथ मे फल ल क चंद्रमा के पूजा आ प्रार्थना क चौरचन चंद्र पर्व मनाबैत अछि | मानल जाइत अछि जे चन्द्रमा सँ प्रार्थना कयला सँ दुष्टात्मा सँ मुक्ति भेटि सकैत अछि | सबसँ पहिने एकटा मान्यता अछि जे भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक मे चन्द्रमा के पूजा केलनि आ अकलंक भ गेलाह | द्वारिका में उग्र के दू पुत्र सतजीत आ प्रसेन में सतजीत सूर्य के पूजा क स्यमंतक रत्न प्राप्त केने छलाह | सतजीत के भाई प्रसेन कृष्ण के संग शिकार करय गेलाह, आ सिंह प्रसेन के मारि क रत्न पाबि लेलक, आ सिंह के मारला के बाद जमवंत बालू के रत्न भेटलनि | द्वारिका मे एकटा अफवाह भेलाक बाद जे कृष्ण रत्न लोभक कारणेँ प्रसेनाक हत्या कएने छलाह, कृष्ण ओहि कलंक सँ मुक्ति लेल भदौ शुक्ल चौथीक दिन चन्द्रमा के पूजा होय के मान्यता के आधार पर चौठचंद्र पर्व मनाओल जाइत अछि | तहिना चन्द्रमा गणेश जी द्वारा देल गेल श्राप सँ मुक्ति लेल गणेशक पूजा कयलनि जे चन्द्रमा देखनिहार केँ शाप देल जाय | कहल जाइत अछि जे पूजा सँ प्रसन्न गणेश भदौ शुक्ल चौथीक दिन मंत्रक पाठ करैत चन्द्रमाक पूजा करैत छलाह | आ एहि तरहें चारिम चन्द्र पर्व एहि मान्यता सँ प्रेरित भ’ मनाओल जाइत अछि जे कृष्ण लोक केँ कलंक सँ मुक्त क’ देने छथि ।