छठ पावनि खूब धूमधाम स मनाओल जाइत अछि
मिथिला पावनि के समाज में छठ के स्थान के सबसँ विशेष श्रेणी में राखल गेल अछि | सब जाति, जाति आ समुदाय चैठ मनाबैत अछि । छठि पावनि मे कोनो लैंगिक भेदभाव नहि, कोनो धर्म भेदभाव नहि, कोनो भाषाक भेदभाव वा जातिगत भेदभाव नहि अछि । यैह कारण अछि जे मिथिला क्षेत्रक मुस्लिम समुदाय सेहो चैठक लेल अरघा देलक अछि । मिथिला मे रहनिहार लोकनि छठक महिमा स्वीकार कए मनाबए लगलाह । जेना कि सूर्य पुराण में कहल गेल अछि जे चैत पर्व कटिका के छठम चंद्रमास के दिन मनाओल जाइत अछि | विभिन्न वेद पुराण आ गंथ मे विभिन्न प्रकारक छईठ पावनि के महत्व के बारे मे उल्लेख कयल गेल अछि, मुदा त्रेतायुग मे सबसँ पहिने छठ पर्वक संस्कार केनिहार अत्रि ऋषि के पत्नी सती अनसुईया छलीह | छैठ पावनि के बारे में अन्य विभिन्न लोककथा अछि | चारि दिन धरि मनाओल जायवला एहि पावनि के पहिल दिन धोना दिन के नाम सँ जानल जाइत अछि | पहिल दिन व्रतधारी स्नान कए बिना मिठाई के भोजन करैत छथि । दोसर दिन पंचमी तिथि पर खरना करबाक चाही। छठि पावनि लेल उपवास व्रतधारी महिला द्वारा कयल जाइत अछि जे खीर बनबैत छथि आ अपर्णा चन्द्रमाक बाद खीर केँ प्रसाद लैत छथि | पंचमी तिथि से सप्तमी तक